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धार्मिक पाखंडवाद ले रहा आमजनों की बलि

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2025-08-02 19:01:12

भारत में जबसे हिन्दुत्व की वैचारिकी हावी हुई है तभी से यहाँ पर धार्मिक आयोजनों में आमजनों की जाने जाना तय हो चला है। वर्तमान में यहाँ मनुवादी संघी सरकार है जो देश में धर्मांधता बढ़ा रही है चूंकि धर्मांधता बढ़ने से हिन्दुत्ववादी विचारधारा की सरकारें बनना आसान हो रहा है। आमतौर पर कहा जाता है कि भारत कृषि प्रधान देश है मगर व्यावहारिक रूप में भारत कहीं से भी कृषि प्रधान नहीं दिखता है। चारों तरफ देखने से हर कोई आसानी से महसूस कर सकता है कि भारत एक धर्मांधता वाला देश है, यहाँ की सरकारें दिन-रात जनता को धार्मिक अंधविश्वास परोस रही है। जिसके परिणामस्वरूप हर रोज चारों तरफ धर्मांधता के कारण हादसे घटित हो रहे हैं और इन हादसों में बेगुनाह लोगों की जाने जा रही है। मगर सरकार धर्म के आधार पर वोट तो लेती है लेकिन धार्मिक स्थलों पर आयोजनों को लेकर सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त इंतजाम नहीं किये जाते हैं। धार्मिक आयोजनों को लेकर संघी मानसिकता के अंधभक्त ढ़ोल तो जोर-जोर से पीटते रहते हैं, लेकिन आयोजनों से जुड़ी व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं देते। इसका शायद कारण यह है कि ये सभी धार्मिक आयोजन सत्ता की मिलीभगत के गठजोड़ से किये जाते हैं और इस तरह के सभी गठजोड़ संघी मानसिकता के लोगों द्वारा आयोजित कराये जाते हैं। धार्मिक आयोजनों से जनता को परेशानी नहीं है, लेकिन इन आयोजनों के बंदोबस्त को लेकर आम जनता के सरकार से अहम सवाल जरूर है। जबसे देश और प्रदेशों में डबल और ट्रिपल इंजन की मनुवादी सरकारें स्थापित हुई है तभी से धर्मांधता के हादसे दिन-प्रतिदिन अपेक्षाकृत अधिक बढ़ रहे हैं। हादसे होना कोई अस्वाभाविक काम नहीं है, लेकिन आयोजनों को लेकर पर्याप्त संसाधनों का इंतजाम न करना सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है।

अंधश्रद्धा के तहत हुए कुछेक हादसे:

=29 जुलाई 2025 को यूपी के बाराबंकी के अवसानेश्वर मंदिर में भगदड़ मची जिसमें 2 लोगों की मौत बताई गई और 32 लोग घायल बताए गए। भगदड़ का कारण बताया जा रहा है कि जलाभिषेक के दौरान बंदरों ने बिजली का तार तोड़ दिया, जो टीन सेड़ पर गिरा तो करंट फैल गया। इसी से मंदिर परिसर में भगदड़ मच गयी जिसके कारण 2 लोगों की मौते हुई और 26 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

=29 जुलाई 2025 को जसलमेर के राजस्थान में सरकारी स्कूल का एंट्री गेट गिरने से 7 साल के बच्चे की मौत हो गई और 2 लोग घायल है। राजस्थान की डबल इंजन की सरकार ने इस दर्दनाक घटना का अभी तक कोई संज्ञेय संज्ञान नहीं लिया है। जो मनुवादी संघियों की असंवेदनशीलता को दर्शाती है।

मनसा देवी हादसा: 28 जुलाई 2025 को एनबीटी में खबर छपी कि हरिद्वार में आरती के वक्त भीड़ के बेकाबू होने से बड़ा हादसा हुआ। जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई और 26 लोग गंभीर रूप से घायल है। ये सभी मरने वाले व घायल हुए लोग अंधश्रद्धा के कारण ही मनसा देवी के आयोजन में गए होंगे। मनसा देवी में ये सभी मृतक और घायल श्रद्धा रखते होंगे, मनसा देवी ने अपने भक्तों की न कोई रक्षा की और न उन्हें बचाया। ऐसे सिलसिले देश में वर्षों से घटते आ रहे हैं लेकिन देश की कमसमझ और अंधभक्त जनता आज तक यह नहीं समझ पा रही है कि जिन देवियों में तुम आस्था रखते हो, वह देवी तुम्हारी रक्षा करने में क्यों असफल है? इस मामूली से तार्किक प्रश्न को अगर इस देश की जनता समझ ले तो फिर अंधश्रद्धा के अतर्किक आयोजनों का प्रचार-प्रसार नहीं किया जाएगा और न आम लोगों की जानें जाएंगी।

अंधश्रद्धा के आयोजनों से फायदा किसको? देश में लाखों अंधश्रद्धा के आयोजनों का होना यहाँ की जनता में सूझबूझ और तार्किक सोच की कमी को बयां करता है। साथ ही यह भी दर्शाता है कि ऐसे अंधश्रद्धा वाले व्यक्तियों में बुद्धि का घोर अभाव है। आम व्यवहार में देखा गया है कि अगर कुत्ते को भी किसी घर से ‘खाने के लिए रोटी का टुकड़ा नहीं मिलता है’ तो वह कुत्ता दोबारा उस घर नहीं जाता है, परंतु अंधश्रद्धा में डूबा हुआ व्यक्ति अपनी मौत की सजा पाकर भी उसके समाज के लोग (परिजन) बार-बार वहीं जाने की चेष्टा करते हैं। जहां पर उनके जैसे लाखों लोगों को मौत की सजा मिल चुकी है। मनसा देवी भगदड़ इसी तरह का एक उदाहरण है, उम्मीद करते है कि धार्मिक अंधभक्त शायद इस घटना और इस जैसी अन्य घटनाओं से कुछ सबक लेंगे!

अंधश्रद्धा के आयोजनों से फायदा केवल ब्राह्मण और बनिया समुदाय को हैं। ब्राह्मण षड्यंत्रकारी रणनीतियों का निर्माण करता है और बनिया समुदाय ऐसे मौकों का फायदा उठाकर वहाँ पर अपना व्यवसायिक धंधा खड़ा करके वहाँ से भरपूर मुनाफा कमाने वाला व्यापार करता है। बनियों के व्यापार से जो लोग सामान इत्यादि खरीदते हैं वे अधिकांशतया दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोग होते हैं। परोक्ष रूप से यही समुदाय, बनिया समुदाय को फायदा पहुंचा रहा है और बदले में बनिया समुदाय मंदिरों में धार्मिक आयोजन कराने के लिए दान देकर पुण्य कमाने का धार्मिक ढोंग करता है। मोदी संघी शासन के 11 वर्षों के दौरान लाखों अंधश्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं।

अंधश्रद्धा से मरने वाले कुछेक अन्य हादसे: 4 जून 2025 को आईपीएल आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए समारोह में भगदड़ से 11 लोग मारे गए। भारत में क्रिकेट को भी एक धार्मिक जुनून की तरह देखा जाता है। क्रिकेट के आयोजनों में भी अपार भीड़ जुटती है, आयोजकों द्वारा पर्याप्त बंदोबस्त न होने के कारण लाखों हादसे हो जाते हैं लेकिन शासन-प्रशासन और जनता ऐसे हादसों की सुरक्षा से जुड़ी बातों को कोई तवजों नहीं देती। यह कमसमझ जनता की कोरी लापरवाही का मामला बनता है। प्रशासन भी ऐसी घटनाओं से सीखकर सुरक्षा से संबन्धित कोई सबक नहीं सीखता।

=3 मई 2025 को गोवा के सिरगाओ गांव में श्रीलैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव की भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए।

=15 फरवरी 2025 में प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ हुई। भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। ये सभी लोग महाकुंभ में प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे।

=29 जनवरी 2025 अमृत स्नान में भाग लेने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जुटने के बाद महाकुंभ के संगम क्षेत्र में मची कई भगदड़ों में योगी के सरकारी सूत्रों के अनुसार 30 लोगों की मौत हुई और 60 से अधिक लोग घायल हुए। ये आंकड़े योगी सरकार द्वारा बताए गए हैं चूंकि इस भगदड़ में मरने वालों की संख्या प्रत्यक्षदर्शियों के आंकलन में अधिक बताई गई थी, जो विश्वास के लायक मानी जा सकती है। चूंकि मोदी-योगी सरकार तो सिर्फ जनता को झूठ और छलावे ही परोसते हैं जिनके द्वारा बताई गई संख्या आम लोगों के गले से नीचे नहीं उतरती।

=8 जनवरी 2025 को तिरुमाला हिल्स पर स्थित भगवान वेंकेटश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंट द्वार दर्शमन के टिकट के लिए हुई धक्का-मुक्की में 6 श्रद्धालुओं की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए।

=2 जुलाई 2024 यूपी के हाथरस में स्वयंभू बाबा भोले बाबा उर्फ नारायण सरकार हरी के सत्संग में भगदड़ से 100 से अधिक लोगों की मौत हुई और कई सौ लोग घायल हुए। इस हादसे की आजतक न कोई सटीक जांच कराई गई और न दोषियों को पकड़ा गया उल्टे मोदी-योगी सरकार ने इस मामले को जानबूझ कर हल्का किया और स्वयंभू बाबा भोले का अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया। मरने वाले लोग मर गए लेकिन सरकार में बैठे योगी जैसे पाखंडियों को ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इसलिए ऐसी असंवेदनशील सरकारों को देश की जनता को कुर्सी से उखाड़ फेंक देना चाहिए। योगी सरकार में अंधश्रद्धा के केस अधिक बढ़े हैं चूंकि योगी चाहते हैं कि प्रदेश की जनता को अंधश्रद्धा के अंधकार में धकेलकर फिर से कुर्सी हासिल की जा सकती है। प्रदेश की जनता को प्रदेश और जनहित में योगी जैसी सरकार को प्रदेश से भगाना होगा और प्रदेश व जन कल्याण के लिए संवेदनशील सरकार का निर्माण करना होगा।

=31 मार्च 2023 को इंदौर के एक मंदिर में रामनवमी पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान प्राचीन ‘बाबड़ी’ के ऊपर बनी स्लेप के ढहने से 36 लोगों की मौत हुई थी लेकिन सरकार ने खाली बयानबाजी के अलावा ऐसी घटनाएँ दोबारा न घटे उसके लिए कोई पर्याप्त योजना नहीं बनाई और न आगे बनाने का उसका कोई इरादा है।

=1 जनवरी 2022 को जम्मू कश्मीर के प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची जिसमें 12 लोगों की मौत हुई और सैंकड़ों लोग घायल भी हुए। उसके उपरांत भी संबन्धित सरकार की व्यवस्था जस की तस है, उसमें सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

=24 जुलाई 2015 को आंध्र प्रदेश के राज मुंदरी में ‘पुष्कर्म’ के उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मच गई जिसमें 27 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 20 से अधिक घायल हो गए।

=3 अक्टूबर 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोग मारे गए और 26 लोग इस भगदड़ में बुरी तरह से घायल हुए।

=13 अक्टूबर 2013 मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रत्नगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ मची जिसमें 115 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए।

अंधश्रद्धा से मरने वाले लोगों में अधिक संख्या किसकी? आमतौर पर देश में देखा जा रहा है कि हिन्दुत्व की वैचारिकी के आधार पर मंदिरों, मेलों, सत्संग, तथाकथित उत्सवों के आयोजनों में उत्साह के साथ भाग लेने वालों में अत्यंत पिछड़ी मानसिकता के दलित ही भाग लेते हैं। इन तथाकथित उत्सवों में मरने वाले लोग भी इन्हीं समाज के होते हैं। ये घटनाएँ आमतौर पर समय-समय पर देश में घट रही है फिर भी अत्यंत पिछड़ी मानसिकता के लोग इन घटनाओं से कोई सबक नहीं सीख रहे हैं और न उनके मन में साधारण सा तार्किक सवाल पैदा नहीं हो रहा है कि अगर इन देवी-देवताओं काल्पनिक भगवानों आदि के मंदिर में कोई अदृश्य व अद्भुत शक्ति है तो वह आप जैसे अंधभक्तों की रक्षा क्यों नहीं कर पा रही है? यह साफ तौर पर दर्शाता है कि ऐसे लोगों की मानसिकता में अंधश्रद्धा कूट-कूटकर भरी हुई है जिसके कारण ये घटनाएँ अबाध्य रूप से घट रही है। सरकार को ऐसी घटनाओं पर न कोई चिंता है और न ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उनके पास कोई योजना है चूंकि इन घटनाओं में मरने वाले लोग अधिकांशतया दलित व अत्यंत पिछड़ी जाति घटकों के लोग होते हैं जिनका वोट पाकर मनुवादी संघी सरकारें केंद्र और प्रदेशों की सरकारों में काबिज हैं।

मनुवादी संघी सरकारों में अंधश्रद्धा के हादसे अधिक: देश में जबसे मनुवादी-मोदी संघी सरकार का आगमन हुआ है तभी से अंधश्रद्धा के आयोजनों में इजाफा अधिक देखने को मिला है। इन आयोजनों में मरने वाले आमजनों की संख्या भी अधिक बढ़ी है। मोदी-संघी सरकार देश के लिए और विशेष तौर पर दलितों, अल्पसंख्यकों व अत्यंत पिछड़े समाज के लिए एक आफत बनकर आयी है जिसके कारण मनुवादी मोदी सरकार इन अंधश्रद्धा के आयोजनों में मरने वाले लोगों को गंभीरता से नहीं ले रही है चूंकि मनुवादी संघियों के धार्मिक ग्रन्थों (मनुस्मृति) में साफतौर पर लिखा है कि कुत्ते, बिल्ली के मरने पर दुख जाहिर करो, लेकिन यदि कोई दलित, अल्पसंख्यक व अत्यंत पिछड़ी जाति घटक से मारता है तो उसके मरने पर शोक मत मनाओ। क्योंकि इन समाजों के कितने भी लोग मर जाये, फिर भी ये लोग वोट तो मनुवादी संघियों को ही देंगे। चूंकि इन समाजों के लोगों को मनुवादी संघी संस्कृति के प्रेरकों ने मानसिक गुलाम बना दिया है। इसलिए वे निश्चित है कि अब हम अधिक समय तक सत्ता में स्थापित रहेंगे।

उपरोक्त सामाजिक स्थिति को देखकर लगता है कि इस देश में मूर्खों की संख्या तो अधिक है ही मगर इन मूर्खों की संख्या में जो अधिक मूर्ख हंै वे केवल दलित, अल्पसंख्यक व अत्यंत पिछड़ी जातियों से ही हंै। वे आजतक मनुवादी संघियों के खेल को समझने में पूर्णतया असफल रहे हैं और आगे भी उनमें सुधार की कोई रोशनी दिखाई नहीं पड़ती। ऐसे हालात को देखकर बहुजन समाज के इन जातीय घटकों से हमारा नम्र निवेदन है कि वे अपनी बुद्धि की आंखे खोले और अपने मस्तिष्क की बत्ती जलायें तभी आपका सर्वांगीण विकास और सत्ता में संख्या बल के आधार पर हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05