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जैसी करनी:वैसी भरनी

शिवम/सिमरन
News

2022-08-23 06:49:48

इस सतत क्रियान्वित जगत में निहित प्रत्येक प्राणी जिसमें सजीवता का अंश शेष है वह काल का भोगी होता ही है, जिसे बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था की सीढ़ी से होकर जाना होता है और इस (नाखत्म) होने वाली क्रिया को हम जीवन-चक्र कहते है, जिसका सामना हर पशु-पक्षी, स्त्री-पुरुष को करना ही होता है!

जब एक शिशु अपनी माँ के गर्भ में 9 माह की तपस्या पूर्ण कर इस खुबसूरत सी दुनिया में जन्म लेता है तो उसी क्षण से उसका समय-चक्र गौचर होने लगता है। इस समय-चक्र की अद्भुत भूल- भुलैया में शिशु केवल अपनी माता का हाथ थामकर अपनी जीवन-नैया को पार पाने में सहायक होता है।

हम मानते है की सर्वदा भविष्य में दूरदृष्टि रखना सफलता प्रदायक साबित होता है, परंतु इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि आप अपनों को ही नजरअंदाज करना शुरू कर दे!

प्राय: देखा गया है कि वास्तविक जीवन में भी कई व्यक्ति अपने वरिष्ठ-परिजनो के प्रति गलत व्यवहार, बोल-चाल, भेदभाव आदि दृष्टिकोण अपना लेते हैं; यह सारी प्रतिक्रियायें देखकर-सुनकर यही प्रतीत होता है कि जैसे वह अस्पष्ट तौर पर कह रहे हो कि.....आप अब हमारे जीवन में बोझ समान है....बस !

इस मानसिकता का स्वरूप आज हम कई ऐसी अनपेक्षित घटनाओं में देख सकते है जो हमारे व्यक्तित्व को शर्मसार करने के लिए उपयुक्त है, आज समाचार-पत्रों में वृद्धा उत्पीड़न की घटनाएँ आना मानों आम हो गयी है। देश-विदेश में बढ़ते वृद्धा आश्रमों की संख्या भी इस समस्या दशार्ती नजर आ रही है। जिस पर ना किसी नेता और ना किसी समाजसेवी का ध्यान केंद्रित होता है...जानते हैं क्यों? क्योंकि यह उत्पीड़न हर घर में छोटे-बड़े पैमाने पर हो रहा है, इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हमारे बड़े- बुजुर्ग स्वयं को दीपक के भाँति जलाकर, हमारे जीवन में खुशियों का प्रकाश भरते है, तो उनके इस त्याग का उपहास क्यों? उनकी इच्छाओं-वेदनाओं का तिरस्कार क्यों?

इस प्रश्न का उत्तर सब भली- भाँति जानते है, बस सच देखने से परहेज कर लेते हैं। किन्तु हम कितनी भी आँखें मीच ले, समय का पहिया हमें भी वहीं ले जाएगा, जहाँ आज हमने अपने बुजुर्गों को रखा हुआ है।

इन्हीं सभी बातों का स्मरण करते हुए कुछ पंक्तियाँ जहन में उतर आयी कि......

नीचे गिरे इन सूखे पत्तों पर

अदब से चलिएगा जनाब......

कभी कड़ी धूप में तुमने

इन्हीं से पनाह मांगी थी.....।।

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05