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गणतंत्र दिवस की महत्ता

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2024-01-20 09:23:21

देश 26 जनवरी 2023 को अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनायेगा। इस पावन पर्व पर सभी देशवासियों को बहुजन स्वाभिमान परिवार की तरफ से मंगलमय शुभकामनाऐं। इस अवसर पर देश की राजधानी, सभी राज्यों की राजधानी, अनेक शहरों तथा अनेक संस्थाओं द्वारा आजादी के कार्यक्रमों का अयोजन किया जाता है। मुख्य कार्यक्रम नई दिल्ली के राजपथ, इंडिया गेट पर आयोजित किया जाता है। प्रति वर्ष कार्यक्रम में राष्ट्रपति इंडिया गेट पर परेड की सलामी लेते हैं। उनके साथ किसी अन्य देश के राज्य प्रमुख विशेष अतिथि के रूप में शामिल होते हैं। इस वर्ष के विशेष अतिथी है फ्रांस के राष्ट्रपति। कार्यक्रम में सरकार के मंत्री, संसद सदस्य, अधिकारी, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपार जनसमूह गणतंत्र दिवस की परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा केन्द्र व राज्यों की झांकियां देखने के लिए उपस्थित होते हैं।

गणतंत्र दिवस का अपना विशेष महत्व है। इसी दिन भारत का अपना संविधान लागू हुआ। 25 जनवरी 1950 तक ब्रिटिश भारत का संविधान ही अस्तित्व में था। 25-26 जनवरी 1950 की मध्यरात्री से यह देश संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न बना। भारत का अपना संविधान बनाने के लिए ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मिशन द्वारा सन 1946 में संविधान सभा की स्थापना हुई। जून-जुलाई 1946 में संविधान सभा के लिये 389 सदस्यों का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव हुआ था। विभाजन होने पर भारत और पाकिस्तान, दो देश अस्तित्व में आये। भारत की संविधान सभा में 299 सदस्य रहे तथा 90 सदस्य पाकिस्तान की संविधान सभा में चले गये।

जुलाई 1946 में बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर बंगाल से संविधान सभा के लिये चुने गये। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। जिस क्षेत्र से डॉ. अम्बेडकर संविधान सभा के लिये चुने गये थे। वह हिस्सा उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में चला गया था। इसलिए डॉ. अम्बेडकर संविधान सभा के लिए बम्बई से दोबारा चुने गये थे। डॉ. अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने थे। साथ ही वे 29 अगस्त 1947 को संविधान प्रारूप समिति के सदस्य बने तथा 30 अगस्त 1947 को संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष भी चुने गये। इस समिति में कुल सात सदस्य थे।

इन सात सदस्यों में से एक सदस्य की मृत्यु हो गई थी और कई देश से बाहर ही रहे, कई बीमार हो गये। इस प्रकार संविधान निर्माण का पूरा दायित्व डॉ. अम्बेडकर पर ही आ गया था जिसे उन्होंने अपनी सेहत की परवाह किये बिना समर्पण भावना से निभाया। दिन रात परिश्रम करके डॉ. अम्बेडकर ने 04 नवंबर 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति को सौंप दिया। संविधान निर्माण के दौरान ही उनकी इकलौती संतान यशवन्तराव का बम्बई में विवाह हुआ लेकिन श्रेष्ठत्तम देशभक्त, डॉ. अम्बेडकर अपने बेटे के विवाह में शामिल होने के लिये ही भी समय न निकाल सके।

संविधान सभा में लम्बी चौडी चर्चाओं और बहस के बाद संविधान अंत में 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने पारित कर दिया। यह संविधान विस्तृत तथा दुनिया का एक श्रेष्ठत्तम संविधान है। इस संविधान की देश, विदेश में तथा संविधान सभा के अनेक सदस्यों तथा नेताओं ने भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा अम्बेडकर के सम्मान में उनकी प्रशंसा के पुल बांधे गये थे।

डॉ. अम्बेडकर महान विद्वान होने के साथ-साथ एक महान दूर दृष्टा भी थे। इस देश में जो समस्याऐं संविधान लागू होने के बाद से चली आ रही हैं तथा जिन्होंने वर्तमान शासन काल में विकराल रूप धारण कर लिया है, वह सब संविधान की अवहेलना तथा डॉ. अम्बेडकर की चेतावनी को नजर अंदाज करने का परिणाम है। डॉ. अम्बेडकर ने देश को चेतावनी भरे स्वर में 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था,‘‘भारत पहले भी अपनी स्वतन्त्रता खो चुका है लेकिन वे कारण आज भी है, मुझे डर है कि ऐसा फिर न हो जाये। मुझे सबसे ज्यादा यह चिंता सताती है कि अब हम राजनीतिक रूप से तो समान हो गये हैं लेकिन सामाजिक और आर्थिक असमानता आज भी बरकरार है। बिना सामाजिक समानता के राजनीतिक समानता बेमानी है। इस सामाजिक असमानता को जितना जल्द समाप्त किया जाये, उतना ही देश के लिये अच्छा है’’।

बाबा साहेब द्वारा दी गई चेतावनी आज अक्षरश: सही सिद्ध हो रही है। हर न्याय पसंद तथा पीड़ित समूह उनकी चेतावनी की दुहाई देता है।

इस देश का दुर्भाग्य है कि शासनकर्ता जमात ने बाबा साहेब की चेतावनी को पूरी तरह नजर अंदाज किया गया। संविधान को तोड़ने मरोड़ने के साथ-साथ मनु विधान लागू करने के प्रयास प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में तत्परता के साथ जारी है। देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए वर्तमान सरकार ने नागरिक संशोधन एक्ट पारित कर दिया है। लेकिन इसमें मुस्लिमों को छोड़ दिया गया है। यह काम संविधान के विरूद्ध है क्योंकि देश का संविधान धर्म निरपेक्ष है। हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए सरकार तुली हुई है जबकि पूरे देश में पूरा विपक्ष तथा आम जनता इसका बहुत भारी विरोध कर रहा है। देश का नवयुवक भी इसके विरोध में सड़कों पर आ रहा है।

वर्तमान सरकार पूरी तरह तानाशाही होकर संसद में बहुमत होने के कारण संविधान की गलत व्याख्या करके अनेक जनविरोधी तथा आर्थिक बर्बादी वाले काम कर रही है। वर्तमान सरकार जन दिखावे के लिए नाम तो लेते हैं डॉ. अम्बेडकर का लेकिन कोई भी काम उनके आदर्शों के विपरित ही करते हैं।

अभी भी समय है कि देश में संविधान को उसकी मूल भावना के अनुसार ठीक मन और नियत से लागू किया जाये जिससे देश में अमन, चैन, समृद्धि का बन सके।

जय विज्ञान, जय संविधान

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01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 11:08:05