2022-12-03 07:46:58
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अभी हाल में अपने पुराने वायदो को ही नये रूप में पेश करते हुए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में लोगों को रिझाने (बवकूफ बनाने) के लिए फिर एक नया जुमला छोड़ा है- ‘‘हम आर.डब्ल्यू.ए. को देंगे मिनी पार्षद का दर्जा।’’ उन्होंने इससे मिलता जुलता वायदा पिछली बार भी किया था। तब उन्होंने कहा था कि आर.डब्ल्यू.ए. को सशक्त बनायेंगे तथा इसके लिए फन्ड भी मुहैया करायेंगे। लेकिन पांच सालों में इस वायदे को पूरा करने की कोई कवायद नहीं दिखी। यह जुमला ही साबित हुआ। उन्होंने पार्षदों को वेतन देने का भी वायदा किया था जो केजरीवाल ने पूरा नहीं किया चूंकि यह असंभव है। आखिर यह भी लोगों को बेवकूफ बनाने के लिय जुमला ही था। इसके अतिरिक्त उन्होंने पहले दस गारन्टी दी हैं जिन्हें पूरा करना लगभग असंभव है। लेकिन वे सत्ता पाने के लिए बैचेन हैं और वायदे पर वायदे करते चले जा रहे हैं।
अब उन्होंने इसे और अधिक लुभावना बनाकर पेश किया है कि ‘‘आर.डब्ल्यू.ए को देंगे मिनी पार्षद का दर्जा।’’ लेकिन न तो उन्होंने यह बताया कि ऐसा किस कानून के अंतर्गत किया जा सकता है, क्या कोई ऐसा कानून मौजूद है। दूसरे न कोई रूप रेखा बताई और न यह कि धन की व्यवस्था कैसे होगी, आखिर बिना धन के कोई योजना कैसे चल सकती है?
अब इस वायदे को संवैधानिक कसौटी पर तोलते हंै:
1.
नगर निगम पार्षद, नगरपालिका, नगर निकाय, जिला परिषद, ग्राम पंचायत के सदस्य पंचायत राज्य एक्ट के अंतर्गत आते हैं, उसी के अनुसार उनका चुनाव होता है।
2. भारत के संविधान में इन निर्वाचित सदस्यों को वेतन का कोई प्रावधान नहीं है।
3. संविधान में मिनी पार्षद जैसा कोई प्रावधान नहीं है। दिल्ली नगर निगम के अलावा देश में अनेक महानगरों में भी नगर निगम है। उनमें किसी में भी मिनी पार्षद की बात नहीं कही जाती।
4. बिना संविधान में संशोधन किये अथवा कोई नया एक्ट पास किये, मिनी पार्षद की व्यवस्था असंभव है।
मिनी पार्षद की व्यवस्था का मामला मंजूरी के लिए उपराज्यपाल (केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि) के पास अवश्य जायेगा। यह भी देखना जरूरी होगा की यदि दिल्ली में ऐसी बेतुकी व्यवस्था लागू की जाती है तो अन्य नगर निगम भी ऐसा करना चाहेंगे इस तरह तो फ्लड गेट ही खुल जायेगा जिससे आम जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
अब यह भी देखते हैं कि मिनी पार्षद की व्यवस्था का जनता पर क्या प्रभाव होगा:
1. यदि आर.डब्ल्यू.ए. को मिनी पार्षद का दर्जा दिया जाता है तो सरकार को इसे व्यवस्थित करने के लिये प्रशासनिक व्यवस्था बनानी पडेगी। इसके लिये फंड की व्यवस्था भी सरकार को करनी होगी।
2. ये तथाकथित मिनी पार्षद भ्रष्टाचार का अड्डा बनेंगे चूंकि ये भी अपना हिस्सा मांगेंगे। यह जग जाहिर है कि दिल्ली नगर निगमों में भ्रष्टाचार है चूंकि इसकी चर्चा स्वयं केजरीवाल भी करते रहते हैं, मीडिया में भी खबरें बराबर आती रहती है। इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार बढने की पूरी संभावना है।
3. यदि यह व्यवस्था लागू होती है तो इस पर खर्च होने वाला धन का अतिरिक्त बोझ आम जनता पर ही आयेगा।
4. इस व्यवस्था के लागू होने से आर.डब्ल्यू.ए. में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, आपस में राजनीति व वैमम्स्य बढ़ेगा। लेकिन आप पार्टी के लिए चमचों की फौज खडी हो जायेगी तथा पार्टी से जुड़ने वालों की संख्या बढ़ जायेगी।
5. दिल्ली एक शहर ही है। इसके नागरिक इतने छोटे क्षेत्र में पहले ही विधायकों और नगर पार्षदों पर होने वाले खर्च का बोझ उठा रहे हैं, इन तथाकथित मिनी पार्षदों का अतिरिक्त बोझ असहनीय हो जायेगा।
नगर निगम में भ्रष्टाचार है, सरकार में भ्रष्टाचार है तो बिना भ्रष्टाचार समाप्त किये जनता की समस्याओं का सही निदान नहीं हो सकता। तो फिर मिनी पार्षद की व्यवस्था जोडने से जनता को कोई राहत नहीं होगी बल्कि जनता पर और बोझ बढ़ेगा जैसा कि ऊपर लिखा गया है। निष्कर्ष यही निकलता है कि न तो यह व्यवस्था जनता के लिये राहत प्रदान करने वाली है, न ही यह वैधानिक हो सकती है, केजरीवाल यह अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन दिल्ली नगर निगम की सत्ता प्राप्त करने के लिए वे एक के बाद एक वायदों की झड़ी लगा रहे हैं। वे जानते हैं कि पुराने झूठे वायदों को भुलाने के लिए नये वायदे करते रहो, यहां की मूर्ख जनता वायदों में फंस ही जाती है। मोदी और केजरीवाल एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं चूंकि दोनों एक ही स्कूल आफ थॉट (आरएसएस) से पढ़े हुए हैं। मोदी जी साफ-साफ कह देते हैं लेकिन केजरीवाल आस्तीन का सांप बनकर वार करते हैं जो अधिक खतरनाक है।
इसलिये आम जनता से निवेदन है कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव में, किसी दल/उम्मीदवाद को मत देने से पहले उन दलों/उम्मीदवारों की कार्यशैली, उनके द्वारा किये गये कार्यकलाप, पहले किये गये वायदों का विश्लेषण तथा उनकी फिलोसिफी की अच्छी तरह जांच परख कर लें। किसी बहकावे, झूठे वायदों, दबाव तथा लालच से बचकर ही अपना अमूल्य वोट दें और वोट अवश्य दें।
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