Friday, 14th November 2025
Follow us on
Friday, 14th November 2025
Follow us on

कुम्हार जाति का इतिहास

News

2023-12-16 17:11:54

इस धरती पर सबसे पहले किस समुदाय के लोग आए, यह दावा नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुम्हार इस धरती पर पहले रहे होंगे, जिन्होंने गति को समझा होगा। वे ही प्रथम रहे होंगे, जिन्होंने मिट्टी की ताकत को पहचाना होगा। इस कारण ही उन्होंने दुनिया को चाक दिया होगा और खूब सारे बर्तन बनाये। इस दुनिया को अंधकार में रास्ता दिखाने के लिए दीये उन्होंने ही बनाए होंगे। संभवत: यही वजह है कि इन्हें कुम्हार पंडित भी कहा जाता है। पंडित की उपाधि इन्हें इसलिए दी गई होगी, क्योंकि पांडित्य का असली मतलब सृजन करना है और इसका संबंध ज्ञान से है। आप चाहें तो पाषाण युग के इतिहास को पलटकर देखें। कुम्हार वहां मौजूद मिलेंगे अपने चाक और खूब सारी मिट्टी के साथ। वे मानव सभ्यता के विकास की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। लेकिन किसी भी चीज को गढ़ना आसान नहीं होता। गढ़ने के लिए समाज को समझना पड़ता है। जिसने समाज को नहीं समझा, वह कुछ नहीं गढ़ सकता। कुम्हार केवल भारत में ही नहीं, विश्व की सभी सभ्यताओं में अलग-अलग रूपों में मौजूद रहे। मिस्र के पिरामिडों पर रखे बर्तन इसके सबूत हैं। उन्होंने हड़प्पा काल में बर्तन बनाए, टेराकोटा की मूर्तियां बनाईं। आज के पाकिस्तान और भारत के पंजाब प्रांत में इन्हें कुलाल भी कहा जाता है। ये भारत के हर राज्य के निवासी हैं। अधिकांश प्रांतों में बेशक ये अछूत नहीं हैं, लेकिन इन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल नहीं है।

कुम्हार शब्द की उत्पत्ति?

मजहब की बात करें तो कुम्हार हिंदू और मुसलमान दोनों हैं। हालांकि भारत में ब्राह्मणवाद ने इनसे इनका शब्द ही छीन लिया। अब इन्हें प्रजापति कहा जाता है लेकिन द्रविड़ परंपराओं में ये कुम्हार ही कहे जाते हैं। इसके पीछे वैदिक कहानियां गढ़ दी गई हैं, ब्राह्मणवाद के अनुसार, (कुम्हार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द कुंभ+कार से हुई है। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा या कलश। कार का अर्थ होता है निर्माण करने वाला या बनाने वाला या कारीगर। इस तरह से कुम्हार का अर्थ है-मिट्टी से बर्तन बनाने वाला। भांडे शब्द का प्रयोग भी कुम्हार जाति के लिए किया जाता है। भांडे संस्कृत के शब्द भांड से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-बर्तन।) उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि जनजातीय पेशे वाले इस समुदाय का हिंदूकरण किया जा सके। जबकि ये मूल रूप से कुम्हार हैं और यह शब्द कुम से संबंधित है, जिसक मतलब तालाब या जलाशय होता है। इसके पीछे की पृष्ठभूमि यह है कि इन्हें मिट्टी और पानी दोनों की आवश्यकता होती है। लेकिन हर तरह की मिट्टी चाक पर नहीं चढ़ती। खासकर नदियों के किनारे की बालू मिश्रित मिट्टी तो बिल्कुल नहीं। इन्हें दोमट मिट्टी या काली मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसमें सांगठनिक क्षमता हो। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसी मिट्टी के लिए इन्होंने धरती को खोदना शुरू किया और फिर जब यह देखा कि मिट्टी निकालने के बाद जो गड्ढा होता है, बरसात में उसमें पानी भर जाता है तो इनकी बांछें खिल गई होंगी। आज भी कुम्हार अक्सर तालाब और जलाशयों के किनारे रहते हैं, जिसमें पानी स्थिर होता है। इस प्रकार ये कुम्हार कहे गए। पर इनके उत्पादों को अलग-अलग नाम दे दिया गया। जैसे घड़े को संस्कृत में कुंभ कहा गया और इन्हें कुम्हार से कुंभकार बना दिया। अब यह तो कोई भी समझ सकता है कि ये केवल कुंभ यानी घड़ा ही नहीं बनाते, बल्कि खपडैÞल, दीये व अन्य सारे बर्तन तथा मूर्तियां बनाते हैं, तो ये केवल कुंभकार कैसे हुए?

कुम्हार जाति का इतिहास

अतीत के पन्नों में इनकी उपस्थिति के प्रमाण नहीं मिलते। और ऐसे केवल कुम्हार ही नहीं, अन्य शिल्पकार जातियां भी हैं, जिनका कोई उल्लेख किसी इतिहास की किताब में नहीं मिलता। बौद्ध धर्म के पहले आजीवक धर्म से इनका संबंध एक आजीवक संजय केशकंबलि से स्थापित जरूर होता है, जो कुम्हार परिवार से आते थे। लेकिन बौद्ध धर्म के ग्रंथों में इससे अधिक विवरण नहीं मिलता।

कहां पाए जाते हैं कुम्हार?

यह जाति भारत के सभी प्रांतों में पाई जाती है। हिंदू प्रजापति जाति मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में पाई जाती है। महाराष्ट्र में यह मुख्य रूप से पुणे, सातारा, सोलापुर, सांगली और कोल्हापुर जिलों में पाए जाते हैं। अलग-अलग राज्यों में कुम्हार उपजातियों के अलग-अलग नाम हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इन्हें पवनियों में गिना जाता है। ठीक वैसे ही जैसे नाई, लोहार, बढ़ई और कहार। पवनिया लोगों का काम सेवा करना होता है। इनका भी काम सेवा करना ही रहा है। लोग जब अपने बच्चों की शादी करते हैं तो कुम्हार उनके लिए मिट्टी के हाथी-घोड़े-चिड़ियां आदि बनाकर देते हैं। ये उन्हें कलश बनाकर देते हैं, जिसमें जल संग्रहित कर रखा जाता है और जिसे साक्षी मानकर स्त्री-पुरुष एक होने का संकल्प लेते हैं। इसके बदले में पहले इन्हें द्रव्य और कपड़े आदि मिल जाते थे। इन्हें प्रजापत, कुंभकार, कुंभार, कुमार, कुभार, भांडे आदि नामों से भी जाना जाता है। भांडे का प्रयोग पश्चिमी उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश के कुम्हारों के कुछ उपजातियों लिए किया जाता है। कश्मीर घाटी में इन्हें कराल के नाम से जाना जाता है। अमृतसर में पाए जाने वाले कुछ कुम्हारों को कुलाल या कलाल कहा जाता है। कहा जाता है कि यह रावलपिंडी पाकिस्तान से आकर यहां बस गए। कुलाल शब्द का उल्लेख यजुर्वेद (16.27, 30.7) मे मिलता है, और इस शब्द का प्रयोग कुम्हार वर्ग के लिए किया गया है। अब जमाना बदला है तो ये भी बदल रहे हैं. अब ये अपने द्वारा गढ़े गए हर वस्तु की कीमत खुद तय करते हैं। अब इन्होंने बेगार के रूप में सेवा करना बंद कर दिया है। हालांकि पूंजीवाद ने इन्हें इनकी कला का मजदूर बना दिया है।

किस कैटेगरी में आता हैं कुम्हार समाज?

आरक्षण की व्यवस्था के अंतर्गत कुम्हार जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के अंतर्गत वगीर्कृत किया गया है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वगीर्कृत किया गया है। मध्य प्रदेश के छतरपुर, दतिया, पन्ना, सतना, टीकमगढ़, सीधी और शहडोल जिलों में इन्हें अनुसूचित जाति के रूप में वगीर्कृत किया गया है; लेकिन राज्य के अन्य जिलों में इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में सूचीबद्ध किया गया है। अलग-अलग राज्योंं में कुमार के अलग-अलग सरनेम है।

वर्गीकरण

कुम्हारों को मुख्यतया हिन्दू व मुस्लिम सांस्कृतिक समुदायो में वगीर्कृत किया गया है। कुम्हारों के कई समूह है, जैसे कि- गुजराती कुम्हार, राणा कुम्हार, लाद, तेलंगी कुम्हार इत्यादि।

चम्बा (हिमाचल): चम्बा के कुम्हार घड़े, सुराही, बर्तन, अनाज संग्राहक, मनोरंजन के लिए खिलौने इत्यादि बनाने में निपुण होते है। कुछ बर्तनो पर चित्रण कार्य भी किया जाता है।

महराष्ट्र: सतारा, कोल्हापुर, भंडारा-गोंदिया, नागपुर विदर्भ, सांगली, शोलापुर तथा पुणे क्षेत्रों में कुम्हार पाये जाते है। वे आपस में मराठी भाषा बोलते है परन्तु बाहरी लोगो से मराठी ओर हिन्दी दोनों भाषाओ में बात करते हैं। पत्र व्यवहार में वे देवनागरी लिपि का प्रयोग करते है। यहां कुछ गैर मराठी कुम्हार भी है जो मूर्तियां ओर बर्तन बनाते हैं।

मध्य प्रदेश: यहा हथरेटी, गोल्ला ओर चकारेटी कुम्हार पाये जाते है। बर्तन बनाने के लिए चाक को हाथ से घुमाने के कारण इन्हे हथरेटी कहा जाता है।

राजस्थान: राजस्थान में कुम्हारों (प्रजापतियों) के उप समूह है-माथेरा, कुम्हार, खेतेरी, मारवाडा, तिमरिया और मालवी, जाटवा सामाजिक वर्ण क्रम में इनका स्थान उच्च जातियो व हरिजनो के मध्य का है। वे जातिगत अंतर्विवाही व गोत्र वाहिर्विवाही होते है।

यूपी, बिहार तथा झारखंड: उत्तर प्रदेश व बिहार में कुम्हार जाति का वर्गीकरण कनौजिया (पंडित), गधेरे(गधेवाल), वर्दिया, हथ्रेटिया, चक्रेटियाम आदि हैं।

कुम्हार जाति की जनसंख्या

कुम्हार समाज की देश में आबादी करीब दस करोड़ है, जबकि हरियाणा में दस लाख के करीब है और सिरसा की पांचों विधानसभाओं में समाज के लगभग 90 हजार मतदाता है। वहीं उत्तर प्रदेश में 200 लाख (2 करोड़), उत्तराखंड में 20 लाख, हिमाचल में 45 लाख, सिक्किम में 1 लाख और वहीं अगर बिहार की बात करें तो यहां की 13 करोड़ की आबादी में कुम्हार जाति के लोगों की संख्या बिहार सरकार द्वारा जारी जाति आधारित गणना रिपोर्ट-2022 के अनुसार 18,34,418 है, जिनकी कुल आबादी में हिस्सेदारी 1.40 प्रतिशत है। राजनीतिक दखल के लिए यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरे से अधिक कुछ भी नहीं।

कुम्हार जाति का ज्ञान और कौशल इनका अपना है, किसी ईश्वर की देन नहीं। ये तो सृजन करते रहे हैं और जो सतत सृजन करता है, उसका अस्तित्व कभी खत्म नहीं होता। यही वजह है कि आज भी इनका अस्तित्व कायम है। हालांकि अब मशीनी युग में इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है और मिट्टी से जुड़ा इनका पारंपरिक पेशा दम तोड़ता जा रहा है। लेकिन बदलते समय के साथ देखें तो यह भी अच्छा है। लेकिन यह केवल कहने की बात के जैसा है। इनकी भूमिहीनता और रोजगार की अनुपलब्धता ने इन्हें बाध्य कर दिया है कि ये दिहाड़ी मजदूरी करें या फिर प्रवासी मजदूर बनकर दूसरे शहर व राज्यों में चले जाएं। इनकी पीड़ा केवल वे समझ सकते हैं, जो सृजन करने का अर्थ समझते हैं। वैसे भी यह जाति अन्य जातियों से अलहदा इस मायने में है कि इस जाति ने यह साबित किया कि जिस आग में जलकर देह मिट्टी बन जाती है, उसी आग में जलकर मिट्टी जीवन का रूप अख्तियार करती है। कितना अलहदा है सृजन का यह सिद्धांत।

कुम्हार जाति को अपनी पहचान सृजनकर्ता समाज के रूप में कायम रखनी चाहिए। भारत में कुम्हार, चमार, लुहार आदि सृजनकर्ता समाज के वैज्ञानिक हैं लेकिन मनुवादी-ब्राह्मणवादी संस्कृति के वर्चस्व के चलते ये लोग भारत में सेवक बनकर ही रह गये। ये ही भारतीय समाज के आदि वैज्ञानिक हैं।

Gautam Prajapati, Uttar Pradesh
Kullad banane me
2025-11-04 17:36:19
 
 
Harish Prajapat, Rajasthan
वैदिक काल में प्रजापति एक वैदिक देवता थे और वे ब्रह्मा के पुत्र तथा सृष्टिकर्ता माने जाते थे । तैत्तिरीय ब्राह्मण में लिखा है कि ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति सृष्टि को उत्पन्न करने के उपरांत माया के वश में होकर भिन्न भिन्न शरीरों में बँध गए थे और देवताओं ने एक अश्वमेध यज्ञ करके उन्हें शरीरों से मुक्त किया था ।
2025-11-04 17:36:07
 
 
Ps prajapati, Madhya Pradesh
Please write about present and future status in history . present time in which state we are in ST class.collection of information is very nice . I want this programs should be continue
2025-11-04 17:35:51
 
 
Dileep Kumar Verma, Uttar Pradesh
Good information given by you
2025-11-04 17:35:49
 
 
Dileep Kumar Verma, Uttar Pradesh
Good information given by you sir
2025-11-04 17:35:48
 
 
Raman, Gujarat
In Indian subcontinent, Kumhar or Kumbhar community having population of 1.9 crore(not 10 crore).Kumhar or Kumbhar are general -cum-obc caste in Indian subcontinent.1st=swarna-70%(even authorised to cook Brahmin food)2nd=pure or clean3rd not
2025-11-04 17:35:40
 
 
Sandeep, Himachal Pradesh
Kumbhar or Kumhar having only 1.9crore population in Indian subcontinent.Not 10 crore dear
2025-11-04 17:35:39
 
 
Sandeep, Himachal Pradesh
You are not publishing my comments dear.
2025-11-04 17:35:37
 
 
Aman Prajapati, Uttar Pradesh
Fh
2025-11-04 17:35:21
 
 
Sandeep Kumar, Uttar Pradesh
Talab kumharon ke naam hona chahie
2025-11-04 17:35:18
 
 
Anish, Uttar Pradesh
Bahut isnnsisn hd do ddu o jmny plijt nucjrrr zgtb fer svnm zisgsj agr. V.vxk xjxbc wytit qphy assy
2025-11-04 17:35:15
 
 
Hajarilal, Madhya Pradesh
दुख की बात है कि हमारा समाज कभी सत्ता धारी या देश पर राज करने वाले की नजर से ही बाहर क्यों है कुछ हमारी कमीहै संगठित होकर समाज के हक में सरकार के कानो तक आवाज पहुंचना चाहिए
2025-11-04 17:35:08
 
 
Lakhan prajapati, Uttar Pradesh
Student life
2025-11-04 17:34:56
 
 
Shivkumar Shivkumar, Uttar Pradesh
bas
2025-11-04 17:34:44
 
 
Ghanshyam kumbhkar, Madhya Pradesh
गोत्र आईनिया चौहान मालवी प्रजापति का भैरू महाराज कहां है
2025-11-04 17:34:31
 
 
‌ Ghanshyam kumbhkar, Madhya Pradesh
गोत्र आईनिया चौहान मालवी प्रजापति का भेरू सती मंदिर कहां है
2025-11-04 17:34:29
 
 
हरेंद्र सिंह वर्दिया, Uttar Pradesh
बहुत सुंदर जानकारी दी, आपने। शिल्पकार अतीत के वैज्ञानिक हैं।
2025-11-04 17:34:28
 
 
Deepak kumar, Uttar Pradesh
I LOVE MY INDIA
2025-11-04 17:34:20
 
 
SAMPAT Prajapati, Rajasthan
Prajapati samaj ki anya Samaj se tulana mat Karo prajapati darti par utapann ui pahali jati he
2025-11-04 17:33:51
 
 
दिलीप कुमार पंडित, Bihar
आज मैंने यह पोस्ट पढ़ा और पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा अपने समाज का इतिहास जानकर आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है। मगर मुझे दुख भी होता है कि समाज के अलग-अलग वर्गों में अलग-अलग भ्रांतियां हैं और इन भ्रांतियां ने कुम्हार समाज को मात्र एक मजदूर बनकर छोड़ दिया
2025-11-04 17:33:40
 
 
DR MANEESH PRAJAPATI, Madhya Pradesh
good
2025-11-04 17:33:35
 
 
Upendra kumar prajapati, Bihar
सभी लाइन सही है लेकिन इस समुदाय को समाज मे वो प्रतिष्ठा नहीं मिली जो मिलना चाहिए ।उदाहरण आज तक कोई कुम्हार पार्लियामेंट नहीं पहुँचा दुख होता है।हमें
2025-11-04 17:33:27
 
 
शिव मंगल प्रजापति, Uttar Pradesh
हमारी जानकारी के अनुसार प्रजापति किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते इन्हें अपने मेहनत पर भरोसा होता है प्रजापति मूल रूप से बौद्ध होतेहैं परंतु ब्राह्मण वादियों ने इन्हें हिंदू बनाकर रख दिया हर जाति हर समाज में आपको भिखारी मिल जाएंगे परंतु प्रजापति मे नही
2025-11-04 17:33:16
 
 
Sachin, Maharashtra
कुम्हार समाज मे किसी व्यक्ती की मौत होने के बाद 12 वे दिन होनेवाली क्रिया कुम्हार द्वारा कि जाती है ।ऊस प्रक्रिया की प्राप्ती कैसै मिली ?क्या ऊस बारे मे अधिक जानकारी कैसे मिल सकती है ।
2025-11-04 17:33:13
 
 
Nekram, Uttar Pradesh
शबसे बड़ी जाती है कुम्हार
2025-11-04 17:33:11
 
 
Shivamprajapati, Madhya Pradesh
Jy prajapati
2025-11-04 17:33:06
 
 
Ajay Kumar, Bihar
Prajapati (Kumhar) r Scientific cast with helping nature. U will not find a single criminal in thi cast.They have given words to the history through the invention nd creations.The concept of wheel nd motion is the Scientific creation of Kumhar.
2025-11-04 17:32:35
 
 
Anil Prajapati, Rajasthan
006
2025-11-04 17:32:33
 
 
Anil Prajapati, Rajasthan
हमें गर्व है कि हम प्रजापति समाज में जन्म हुआ हम अपना जीवन समाज देश के लिए समर्पित है जब तक जिएंगे तब तक देश जन सेवा करेंगे ओर बस इतना ही माता पिता और भगवान का आशीर्वाद बना रहे जय मां श्री श्रीयादे जय श्री राम
2025-11-04 17:32:32
 
 
Kartik, Uttar Pradesh
Nice
2025-11-04 17:32:29
 
 
Rupeswar Kumar, Assam
Please I want to know about Kumar caste.Origine I am from Westbengal,Purulia Dist.Now in Assam by 4th generation.Thanks
2025-11-04 17:32:04
 
 
अभिषेक प्रजापति, Uttar Pradesh
Hame apane jaati ka labh chahiye and service bhi taaki ham aage karya kar sakte hai.
2025-11-04 17:31:55
 
 
Sonu parjapti sk, Uttar Pradesh
25
2025-11-04 17:31:41
 
 
Pawan Prajapati, Uttar Pradesh
Prajapati samaj ek accha samuday hai prachin Brahman hai Prajapati
2025-11-04 17:31:40
 
 
Gajara Gajanan Santre, Maharashtra
Maharashtra mai aapki jarurat hai hamare obc samaj mai maratha jaati ke logo aarakshan diya ja raha hai to pls hamare aarakshan ko bachana hai hamare roti makan ka sawal hai hame aapki ray dena
2025-11-04 17:31:33
 
 
Ishant Prajapati, Uttar Pradesh
@x_ishant_143प्रजापति
2025-11-04 17:31:28
 
 
Fulan kumar parjapati, Bihar
Yes
2025-11-04 17:31:24
 
 
Shailendra kumar, Rajasthan
सम्पूर्ण भारत में प्रजापति जनसंख्या कितनी होगी।
2025-11-04 17:31:18
 
 
SHUBHAM, Uttar Pradesh
कार
2025-11-04 17:31:17
 
 
Mukesh Prajapati, Uttar Pradesh
हमारी समाज के लिए बहुत बढ़िया बात लिखी हे किसी ने धन्यवाद आज मुझे अपना इतिहास महसूस हुआमेरे इतिहाश का तो पता नहीं इन मनु वादियों के कारण jai shree radha krishna bndsaadbbvccvbhdcbhvxvbhtffdtghhyffhyytfghjookfdchjtdfhyfghjujhdffbjirxcghhyfghjvgf
2025-11-04 17:31:15
 
 
प्रजापति yamraj, Uttar Pradesh
प्रजापति
2025-11-04 17:31:12
 
 
Rampravesh prajapati, Uttar Pradesh
Ok
2025-11-04 17:25:58
 
 
Post Your Comment here.
Characters allowed :


01 जनवरी : मूलनिवासी शौर्य दिवस (भीमा कोरेगांव-पुणे) (1818)

01 जनवरी : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले द्वारा प्रथम भारतीय पाठशाला प्रारंभ (1848)

01 जनवरी : बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा ‘द अनटचैबिल्स’ नामक पुस्तक का प्रकाशन (1948)

01 जनवरी : मण्डल आयोग का गठन (1979)

02 जनवरी : गुरु कबीर स्मृति दिवस (1476)

03 जनवरी : राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले जयंती दिवस (1831)

06 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. जयंती (1904)

08 जनवरी : विश्व बौद्ध ध्वज दिवस (1891)

09 जनवरी : प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख जन्म दिवस (1831)

12 जनवरी : राजमाता जिजाऊ जयंती दिवस (1598)

12 जनवरी : बाबू हरदास एल. एन. स्मृति दिवस (1939)

12 जनवरी : उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद ने बाबा साहेब को डी.लिट. की उपाधि प्रदान की (1953)

12 जनवरी : चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु परिनिर्वाण दिवस (1972)

13 जनवरी : तिलका मांझी शाहदत दिवस (1785)

14 जनवरी : सर मंगूराम मंगोलिया जन्म दिवस (1886)

15 जनवरी : बहन कुमारी मायावती जयंती दिवस (1956)

18 जनवरी : अब्दुल कय्यूम अंसारी स्मृति दिवस (1973)

18 जनवरी : बाबासाहेब द्वारा राणाडे, गांधी व जिन्ना पर प्रवचन (1943)

23 जनवरी : अहमदाबाद में डॉ. अम्बेडकर ने शांतिपूर्ण मार्च निकालकर सभा को संबोधित किया (1938)

24 जनवरी : राजर्षि छत्रपति साहूजी महाराज द्वारा प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त व अनिवार्य करने का आदेश (1917)

24 जनवरी : कर्पूरी ठाकुर जयंती दिवस (1924)

26 जनवरी : गणतंत्र दिवस (1950)

27 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर का साउथ बरो कमीशन के सामने साक्षात्कार (1919)

29 जनवरी : महाप्राण जोगेन्द्रनाथ मण्डल जयंती दिवस (1904)

30 जनवरी : सत्यनारायण गोयनका का जन्मदिवस (1924)

31 जनवरी : डॉ. अम्बेडकर द्वारा आंदोलन के मुखपत्र ‘‘मूकनायक’’ का प्रारम्भ (1920)

2024-01-13 16:38:05